“भारतीय राजनीति के संभावित भविष्य का विशुद्ध आंकलन: ज्योतिषानुसार”

Main Article Content

Dr. Jitendra Vyas,

Abstract

भारतीय राजनीति को व उसके प्रादुर्भाव को भारत की स्वतंत्रता के बाद से ही समझा जा सकता है। किसी भी विषय की समीक्षा के लिए ज्योतिष विषय सर्वोत्तम मापदंड है। देश की राजनीति, राजनीतिक लोग, उच्च पदासीन व्यक्ति व राजनेता ज्योतिष प्रेम के सार्वजनिक प्रचार से प्रायः बचते रहते हैं, लेकिन ज्योतिष से अर्थात् ग्रह नक्षत्रों से तो कोई बच नहीं पाया है।1 राजनेता हो या अन्य कोई, सभी को भाग्य जानने की जिज्ञासा अवश्य ही होती है, प्रत्येक व्यक्ति उसका रहस्योद्घाटन करना चाहता है अतः वह भविष्य जानने के लिए उत्सुक रहता है, “द्वितीयाद् वै भयं भवति” सूत्रानुसार प्रायः हर प्राणी में, क्षेत्र विशेष में जन्मजात असुरक्षा का भाव रहता है।

Article Details

How to Cite
Dr. Jitendra Vyas,. (2022). “भारतीय राजनीति के संभावित भविष्य का विशुद्ध आंकलन: ज्योतिषानुसार”. Galaxy International Interdisciplinary Research Journal, 10(5), 710–717. Retrieved from https://internationaljournals.co.in/index.php/giirj/article/view/1935
Section
Articles

References

“ज्योरिक”- वेदांग ज्योतिष की प्रासंगिकता / डॉ जितेन्द्र व्यास / रॉयल पब्लिकेशन, जोधपुर 2012 / पृ. 135

भारतीय ग्रह विज्ञान और आधुनिक समस्याएँ: कारण एवं निवारण / डॉ जितेन्द्र व्यास / प्रतिभा प्रकाशन, दिल्ली 2013 / प्राक्कथन

“ज्योरिक”- वेदांग ज्योतिष की प्रासंगिकता / डॉ जितेन्द्र व्यास / रॉयल पब्लिकेशन, जोधपुर 2012 / पृ. 135

“ज्योरिक”- वेदांग ज्योतिष की प्रासंगिकता / डॉ जितेन्द्र व्यास / रॉयल पब्लिकेशन, जोधपुर 2012 / पृ. 135

“ज्योरिक”- वेदांग ज्योतिष की प्रासंगिकता / डॉ जितेन्द्र व्यास / रॉयल पब्लिकेशन, जोधपुर 2012 / पृ. 135

ज्योतिष विज्ञान निर्जरी / राजस्थान संस्कृत अकेडमी / पृ. 83

भारतीय ज्योतिष का इतिहास / डॉ गोरख प्रसाद / प्रकाशक- उ. प्र. शासन 1974 / पृ. 10

भारतीय ग्रह विज्ञान और आधुनिक समस्याएँ: कारण एवं निवारण / डॉ जितेन्द्र व्यास / प्रतिभा प्रकाशन, दिल्ली2013 / पृ.1,

वैदिक संपत्ति / प्रकाशक- कच्छ केरल, बम्बई 1930 / पृ. 90

“ग्रहाधीनं जगत्सर्वं, ग्रहाधीनं नरावरा:।

ग्रहाधीनं कालज्ञानम्, कालकर्मफलप्रदा:||” ‘वेदांग ज्योतिषम्’ / डॉ जितेन्द्र व्यास / रॉयल पब्लिकेशन, जोधपुर / प्राक्कथन

“ज्योरिक”- वेदांग ज्योतिष की प्रासंगिकता / डॉ जितेन्द्र व्यास / रॉयल पब्लिकेशन, जोधपुर 2012 / पृ. 10

भारतीय ग्रह विज्ञान और आधुनिक समस्याएँ: कारण एवं निवारण / डॉ जितेन्द्र व्यास / प्रतिभा प्रकाशन, दिल्ली 2014 / पृ.67

भारतीय फलित ज्योतिष संहिता / प्रकाशक- मनोज पब्लिकेशन, 2006 / पृ. 248-254

वेंक्टेशवर शताब्दि पंचाग, पुणे

वृज्जातकम् / राशि भेदाध्याय / श्लोक 6 / पृ. 5

“ज्योरिक”- वेदांग ज्योतिष की प्रासंगिकता / डॉ जितेन्द्र व्यास / रॉयल पब्लिकेशन, जोधपुर 2012 / पृ. 135

निर्णय सागर पंचांग / नीमच म. प्र.

ज्योतिष विज्ञान निर्जरी / राजस्थान संस्कृत अकेडमी / पृ. 83

जैमिनी सूत्र / निर्णय सागर पंचांग / नीमच म. प्र. 2014 / पृ. 121

लघुपराशरी सिद्धांत / एस. जी. खोत / मोतीलाल बनारसीदास / पृ.418

“वेदांग ज्योतिषम्” / डॉ जितेन्द्र व्यास / शोधपत्र- “भारतीय राजनीति के भविष्य की दशा-दिशा विचार – एक ज्योतिषीय परिप्रेक्ष्य” / रॉयल पब्लिकेशन, जोधपुर,

भारतीय ग्रह विज्ञान और आधुनिक समस्याएँ: कारण एवं निवारण / डॉ जितेन्द्र व्यास / प्रतिभा प्रकाशन, दिल्ली 2013 / पृ. 26-27

भारतीय ग्रह विज्ञान और आधुनिक समस्याएँ: कारण एवं निवारण / डॉ जितेन्द्र व्यास / प्रतिभा प्रकाशन, दिल्ली 2013 / पृ. 15

बृहत्संहिता / पञ्चमहापुरुषलक्षनाध्याय / प्रकाशक- भारतीय विद्या प्रकाशन 2006 / श्लोक-1 / पृ. 349

बृहत्संहिता / पञ्चमहापुरुषलक्षनाध्याय / प्रकाशक- भारतीय विद्या प्रकाशन 2006 / श्लोक-27 / पृ. 353

ज्योतिष विज्ञान निर्जरी / राजस्थान संस्कृत अकाडमी / पृ. 82-83

ज्योतिष विज्ञान निर्जरी / राजस्थान संस्कृत अकाडमी / पृ. 82-83

जैमिनी सूत्र / निर्णय सागर पंचांग / नीमच म. प्र. 2014 / पृ. 121

अद्भूत दर्पण / गर्ग ऋषि